मेडिकल काउंसिल इंडिया(MCI )की परीक्षा पास नहीं कर पा रहे हैं विदेशी डिग्री वाले MBBS डॉक्टर, जानें क्यों?

MCI की परीक्षा पास नहीं कर पा रहे हैं विदेशी डिग्री वाले MBBS डॉक्टर, जानें क्यों?


भारत में प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एमसीआई की स्क्रीनिंग टेस्ट को पास करना जरूरी होता है.
नई दिल्ली. बीते कुछ सालों से विदेशों से (Foreign) डॉक्टर की डिग्री (Doctor's Degree) हासिल कर लौट रहे भारतीय छात्र मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया (MCI) की परीक्षा में फेल हो रहे हैं. बता दें कि देश में बड़े पैमाने पर छात्र एमबीबीएस (MBBS) या उसके समकक्ष डिग्री हासिल करने के लिए रूस, पूर्व सोवियत संघ के देशों, यूरोप, चीन, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में जाते हैं, लेकिन उन छात्रों को डिग्री हासिल करने के बाद भारत में प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एमसीआई की स्क्रीनिंग टेस्ट को पास करना जरूरी होता है. लेकिन, 2015 से 2018 के आंकड़े बताते हैं कि बीते 4 सालों में 100 से ज्यादा विदेशी मेडिकल कॉलेजों से पढ़े एक भी छात्र ने स्क्रीनिंग टेस्ट (Screening Test) पास नहीं किया है. MCI की परीक्षा में हो रहे हैं फेल


एमसीआई के मुताबिक, बीते चार चालों में विदेशों से पढ़कर 15 से 20 प्रतिशत छात्र ही मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया के टेस्ट को पास कर पाए हैं. विदेशों में कई ऐसे मेडिकल कॉलेज हैं, जहां से डिग्री लेकर आए एक भी छात्र अब तक स्क्रीनिंग टेस्ट पास नहीं कर पाए हैं. बीते चार सालों में विदेशों के 100 कॉलेजों के 538 छात्र स्क्रीनिंग टेस्ट में फेल हो गए हैं.


बीते चार सालों में विदेशों के 100 कॉलेजों के 538 छात्र स्क्रीनिंग टेस्ट में फेल हो गए हैं.


2015 से 2018 के आंकड़े बताते हैं कि बीते चार सालों में सौ मेडिकल कॉलेजों से एक भी छात्र पास नहीं हो पाए हैं. इसमें ज्यादातर वे विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं, जहां मेडिकल की शिक्षा दूसरी भाषाओं में दी जाती है. वो छात्र जिनको भारत में आयोजित डॉक्टरी परीक्षा में फेल हो जाते हैं, वे दूसरे देशों में डॉक्टरी की शिक्षा लेने चले जाते हैं. वैसे छात्र जब इंडिया लौट कर वापस आते हैं तो उनको यहां प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एमसीआई की परीक्षा को पास करना अनिवार्य होता है.कई विदेशी कॉलेजों के एक छात्र ने भी टेस्ट नहीं  निकाला


बता दें कि पूर्व सोवियत देशों, यूरोप और चीन के मेडिकल विश्वविद्यालय और कॉलेजों में ऐसे छात्र दाखिला ले लेते हैं, जहां पर परीक्षा अनिवार्य नहीं होती है. यूरोप और अन्य देशों से भी पढ़ कर आ रहे छात्र स्क्रीनिंग टेस्ट में फेल हो रहे हैं. नीदरलैंड जैसे देशों से भी पढ़ कर आ रहे छात्र भी फेल कर रहे हैं. बीते चार सालों में नीदरलैंड से पढ़कर आए 28 छात्रों में से सिर्फ 3 छात्र स्क्रीनिंग की परीक्षा पास कर पाए. जर्मनी से पढ़ कर आए 5 छात्रों में से एक ने भी परीक्षा पास नहीं किया.पाकिस्तान से पढ़कर आए 9 छात्रों में से सिर्फ एक ने एमसीआई की परीक्षा पास की. ब्रिटेन से पढ़कर आए एक छात्र भी फेल हो गया. आर्मेनिया से पढ़कर आए 1096 छात्रों में से सिर्फ 237 ही पास कर पाए. अजरबैजान से पढ़कर आए 123 छात्रों में से सिर्फ 5 ही पास किए. वहीं बांग्लादेश के कई विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों ने औसत प्रदर्शन किया. बीते चार सलाों में अफगानिस्तान से पढ़ कर आए दो छात्र पास नहीं कर पाए.


एमसीआई ने एक सूची जारी की है, जिसमें उन कालेजों और देश के नाम दिए गए हैं.बीते चार सालों के दौरान कई उम्मीदवार एक से ज्यादा बार टेस्ट दे चुके हैं, लेकिन वह अब तक एमसीआई की परीक्षा नहीं निकाल पाए हैं. एमसीआई ने एक सूची जारी की है, जिसमें उन कालेजों और देश के नाम दिए गए हैं. एमसीआई का कहना है कि इसको साझा करने का मतलब यह बताना है कि जो छात्र विदेशों इन कालेजों और विशवविद्यालयों में पढ़ने के लिए सोच रहे हैं, वह रिजल्ट सामने आने के बाद सतर्क हो जाएं.


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